सुबह के समय जहाँ एक तरफ उसकी सास सुहिला मंदिर में बैठकर पूजा कर रही थी तो वही दूसरी तरफ उमा हाथ तोवेल लिए हॉल से बाथरूम की तरफ अपने आप से डायलाग मरती है | उमा: अरे वाह ये तो संडास से लेकर शुसिला तक तब दिख रहा है, अरे वाह ये तो संडास से लेकर शुसिला तक तब दिख रहा है|
उमा बार बार एक ही Dialogue रटते हुए बाथरूम की तरफ बढ़ रही थी, की तभी उसकी सास शुशीला हाथ में पूजा की थाली लिए उसके पास आती है और कहती है |
शुशीला: बेशर्म कम से कम संडास जाते समय तो मेरे धर्म बर्थ तो मत कर ये कब से एक ही Dialogue बोलते जा रही है कोई भुत चढ़ गया है क्या जो तेरे ऊपर उतरने का नाम नहीं ले रहा है | उमा: क्या माँ जी बिच में आकार मेरे Dialogue का फ्लो ख़राब कर दिया कितनी मुश्किल कल मेने ये Dialogue याद किया था आपने सारा मज़ा ही ख़राब कर दिया |

पंकज त्रिपाठी की आवाज़ निकलने वाली बहू
शुशीला: भांड में गया तेरा Dialogue बस तू बाथरूम जाते समय मेरा नाम मत ले वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा पता नहीं किस एक्टर की मूवी देखकर आई है और Dialogue पे Dialogue मारे जा रही है | उमा: देखिये माँ जी मेरे Dialogue और एक्टर को कुछ नहीं बोलिए आपको पता है ये Dialogue मेरे मन पसंद एक्टर पंकज त्रिपाठी का है आज बोल दिया दुबारा मत बोलना रूल्स रूल्स करते रहते है बेसिक रूल्स भूल गए है एडिशन से पहले डिवीज़न होता है |
शुशीला: ये क्या बोले जा रही है तू सब मेरे सर के ऊपर से जा रहा है | उमा: माँ जी ये भी पंकज त्रिपाठी का Dialogue है, है न एक दम मस्त शुशीला: बहु तू ये Dialogue बाद में मारियो अभी जा कर नहा पहले राम राम सुबह सुबह शांति से पूजा नहीं करने देती ही ये |
शुशीला इतना कहकर वहां से चली जाती है थोड़ी देर बाद सभी लोग नास्ता करने के लिए दिनिंग टेबल पर आते है तभी उमा सबके लिए खीर लेकर आती है जिसे देखकर उमा का पति हार्दिक कहता है |
हार्दिक: उमा यार तुमने खीर क्यों बनाई है भला नसते में सुबह के समय ये खीर कोन खता है तुम्हे तो पता है न की मुझे बिलकुल नहीं पसंद और माँ को भी सुगर है इसिल्लिये वो भी मीठा नहीं खा सकती है | उमा: हद है आप लोगो भी हार्दिक जी हमारे पिता जी कहते है जो खीर नहीं खाया वो मानुष में पैदा होने का फायदा नहीं उठाया तो अब आप ही बताइए की आप मनुष्य है या नही |
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पंकज त्रिपाठी की फेन बहु
हार्दिक: यार मैं ये तुम्हारी पंकज त्रिपाठी का Dialogue से परेसान हो चूका हु जहाँ देखो जब देखो उन्ही का Dialogue मार देती हो तुम्हे इतने Dialogue याद कैसे हो जाते है | शुशीला: बता तुभी ये क्या पूछ रहा है जो पूरा दिन पंकज त्रिपठी के गाने, मूवी, वेब सीरीज देखती है उसे Dialogue याद करने की जरुरत है वो तो खुद बा खुद याद हो जाते है क्युकी मेरी बहु पंकज त्रिपाठी की फेन बहु है न इसलिए क्यों बहु सही कहा न मैंने |
उमा: माँ जी आप कभी कोई बात गलत कहती ही कहा है एक आप ही तो हो जो मुझे बहोत अच्छे से जानती हो मेरी पसंद न पसंद को समझती हो | हार्दिक: लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आती की तुम्हे पंकज त्रिपाठी की इतने सारे Dialogue याद करने की जरुरत ही क्या है माना वो बहोत अच्छा एक्टर है हर रोल के लिए बेस्ट है, लेकिन इतना भी क्या फेन बनना |
उमा: हार्दिक जी अगर नेता बानना है न गुंडे पालो गुंडे बनो नहीं समझे क्या | हार्दिक: क्या-क्या क्या बोला तूने मेरे सर के ऊपर से गया अब ये कोन सा Dialogue है | उमा: हार्दिक जी मेरे कहने का मतलब है की अगर अपने मन पसंद एक्टर की तरह बनना है तो हमें उसकी छोटी छोटी चीज़े पता होना चाहिए न बाकि तो किस्मत की बात है की हम उनके तरह बड़े एक्टर बने या न बने |
हार्दिक: तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता लो आराम से बैठकर खीर खाओ और अपने पंकज त्रिपाठी के महान Dialogue अपनी सासु माँ को सुनाओ पंकज त्रिपाठी की फेन बहु मैं तो चला ऑफिस |
हिदी कहानी
हार्दिक इतना कहकर अपना बैग उठाकर अपना ऑफिस के लिए निकल जाता है जिसके बाद उमा आराम से बैठकर खीर खाना सुरु कर देती है ऐसे ही समय बीतता है समय के साथ उमा की पंकज त्रिपाठी की प्रति फेन फोल्लोविंग और बढ़ जाती है | जिसके चलते वो हर समय हर बात पर उसी के Dialogue बोला करती जिससे उसके घर वाले बड़ा परेसान रहते और उसे बहोत समझाने की कोसिस करते लेकिन उसके ऊपर अपनी घर वालों का कोई बातों का असर नहीं था |
ऐसे ही एक रोज शुशीला अपने कमरे में सो रही थी तभी उसे मंदिर की घंटी और किसी के गाने की आवाज़ सुनाई देती है जिसे सुनकर वो कमरे बहार मंदिर में आती है जब वहां वो अपनी बहु को आरती की थाली लिए गाते हुए सुनती है |
उमा: मिलेगी मिलेगी तुझे भी मिलेगी मुझे भी मिलेगी होगा चमत्कार मिलेगी मिलेगी सभी को मिलेगी कभी तो मिलेगी सबर मेरे यार | अपनी बहु को मंदिर में आरती क थाली लिए ऐसी फ़िल्मी गाने गाते हुए सुनकर शुशीला को बहोत गुस्सा आता है, और वो अपनी बहु के पास जाकर उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ घुमा कर चुप करवाते हुए कहती है |
शुशीला: चुप एक दम चुप हो जा अब आगे कुछ नहीं बोलेगी तू सिर्फ मेरी सुनेगी ये सब क्या है तू मंदिर में खड़े होकर ये फ़िल्मी गाने क्यों गा रही है अरे अब बोल भी कुछ ये कब से मुझे घूरे जा रही है बोल भी अब | उमा: माँ जी पहले आप अच्छे से सोच लीजिये की मुझे करना क्या है चुप रहना है या बोलना है खुद ही तो आपने बोला की चुप कर के मेरी बात सुन उसके बात खुद ही बोल रही है की बोल आपका न मुझे कुछ समझ में नहीं आता है |
शुशीला: और मुझे तेरा समझ में नहीं आता है तुझे मेरा कोई डर वर है की नहीं मेरे पूजा घर में तू आरती की ताल लिए फ़िल्मी गाने गा रही है| उमा: माँ जी डर की दिकत है कभी भी खतम हो सकता है मेरा भी हो गया और वैसे भी ये गाना मैं भगवन जी के लिए नहीं बल्कि अपने भगवान के लिए गा रही थी मेरे मन पसंद एक्टर पंकज त्रिपाठी के लिए गा रही थी मैं उनकी इतनी बड़ी फेन हु की मैं उन्हें भगवान की तरह मानती हूँ| तभी तो मैंने उनकी फोटो मंदिर में रखी है ताकि मैं इनकी रोज पूजा कर सकू |
शुशीला: हे भगवान मैं क्या इस पंकज त्रिपाठी के फेन बहु का अगर मैं कुछ दिन इस घर में इसके साथ रही न तो मैं पागल हो जाउंगी | शुशीला अपनी बहु पर चिला ही रही थी की तभी उसकी आवाज़ सुनकर उसका बेटा हर्दिक भी वहां आता है और अपने माँ को गुस्से में देख कर कहता है |
हार्दिक: क्या हुआ माँ आप इतना गुस्सा क्यों कर रही हो | उमा: हार्दिक जी होगा क्या ये दुनिया कितनी मुस्किल है औरतो के लिए और उसका हल पिजरे में कैद हो जाना नहीं है पिंजरा तोड़ कर उड़ जाना है वही मैंने किया तो माँ जी को अच्छा नही लगा | हार्दिक: अरे बंद करो अपना ये पंकज त्रिपाठी का Dialogue मारना हर बात पर, और सीधे सब्दो में बताओ माँ तुम पर क्यों चिल्ला रही थी |
शुशीला: बेटा इसने आज तक कभी सीधी बात करी है जो अब करेगी मैं बताती हु तुझे, देख जरा बहु पागलपन अपनी ये पंकज त्रिपाठी के फोटो को अपने मंदिर में रखकर उसकी पूजा भी करेगी वो भी फ़िल्मी गाने गाते हुए | हार्दिक: आर ये क्या टीवी सेरिएल चल रहा है मेरे घर में, और उमा तुम क्या पागल हो यार इतना भी किसी का क्या फेन बनाना की उसकी पूजा ही करने लगो, किसी एक्टर को पसंद करना उसका फेन होना अच्छी बात है लेकिन उसको और उसकी चीजों को रियल लाइफ में जोड़ना क्या सही है |
उमा: हार्दिक जी जो लोग महनत का साथ नहीं छोड़ते किस्मत कभी उनका साथ नहीं छोडती मेरा तो बस एक ही सपना है की मैं पंकज त्रिपाठी सर को मैं सामने से देख सकू उनसे मिल सकू इसलिए मैं उनके हर मूवी का Dialogue याद करती हूँ की जब भी मैं उनसे मिलु मैं उन्हें बता सकू की मैं उनकी कितनी बड़ी फेन हु|
हार्दिक और शुशीला मिलकर उमा को समझा ही रहे थे की तभी उसकी पड़ोसन विमला घबराते हुए उनके घर आती है शुशीला से कहती है, विमला: शुशीला तुझे पता है आज हमारी पड़ोसन शीमा की बहु भगवान को प्यारी हो गयी मुझे तो अभी पता चल रहा है ये सोचकर मैं तो बहोत परेसान हूँ, इसलिए मैंने सोचा की तुहे आकर बता दूँ |
शुशीला: विमला तू ये क्या कह रही है ऐसे कैसे हो सकता है तबियत तो सीमा की ख़राब रहती है उसकी जगज उसकी बहु कैसे मर सकती है | हार्दिक: हा अभी तो कुछ समय पहले सीमा आंटी की लड़के की शादी हुई है ये सब कैसे हो गया, भगवान का भी पता नहीं क्या इन्साफ है हमेसा गलत करते है अच्छे लोगों के साथ.
उमा: नहीं हार्दिक जी आप गलत बोल रहे है अबका आधार लिंक है उनके पास, उनसे कभी कोई गलती नहीं हो सकती मानिये आप मेरी बात | उमा की बात सुनकर हार्दिक अपने सर पकड़ कर अपने सोफे पर बैठ जाता है और जोर जोर से हसने लगता है उसको हसते हुए देख कर विमला और उसकी माँ शुशीला ये देख कर बहोत हैरान होती है तभी हार्दिक हसते हुए अपनी माँ से कहता है |
हार्दिक: माँ अब आपको पंकज त्रिपाठी की फेन बहु और मुझ्र फेन बीबी के साथ ही रहना पड़ेगा क्युकी ये नहीं सुधरने वाली है |