सुमन रसोई घर में काम कर रही थी, तभी सुमन की बहु रिंकी आती है और सासु माँ से कहती है, रिंकी: माँ जी आज क्या बना रही हो आप खाने में. सुमन: वही जो रोज बनता है रोटी सब्जी और क्या बनती वो भी सुबह के समय. रिंकी: मैं तो सिर्फ दही बल्लेह ही खाऊँगी माँ जी. सुमन: हां क्यों नहीं सुबह सुबह तो तेरी लिस्ट सुरु हो जाती है ये खाना है वो खाना है.

रिंकी को दही बल्ले बहोत पसंद थे, लेकिन उसकी सास कंजूस थी जो की फ़िज़ूल खर्चा न हो इस बात पर जादा ध्यान देती, लेकिन रिंकी या तो अपने पति रोहित से दही बल्ले मनवाया करती या फिर दही में पापड़ी डाल कर खा लिया करती.
रिंकी का आज तो दही बल्ले खाने का मन था लेकिन रिंकी जब ये बात अपनी सास सुमन से ये बात कहने जाती है तो सुमन का जवाब होता है. सुमन: बहु खाने का अलावा भी और कई काम होते है वो ही कर लिया कर और सर्दी में दही कोन खता है सर्दी जुखाम हो जायेगा. रिंकी: माँ जी नहीं होता है मैं रोज ही खाती हु उन्हें कहती हु तो वो ला देते है लेकिन आज उनके पासा पैसे नहीं है तो क्या घर में बना लू दही बल्ले. सुमन: कोई जरुरत नहीं है बनाने की मुझे फ़िज़ूल खर्ची बिलकुल भी पसंद नहीं है. रिंकी: लेकिन माँ जी अगर आप मेरी पसंद का खाना नहीं बना सकती तो रात में रोहित जी के पसंद के छोल्ले चावल नहीं बनेगे.
सुमन: मुझसे जड़ा जुबान चलाने की जरुरत नहीं है समझी तू बहु. रिंकी को उसके पसंद के दही बल्ले नहीं मिलते, लेकिन उसकी सास अपने बेटे रोहित के पसंद के छोल्ले चावल बना कर हाल में बैठकर टीवी देखने लग जाती है, तभी रिंकी किचन में जाकर छोल्ले में नमक और मिर्च दोनों मिला कर डाल देती है और किचन से बहार आ जाती है. कुछ देर में जैसे ही रोहित उन छोले चावल को खाता है वैसे ही वो अपने खाने को थूक कर अपने माँ से कहता है.
भल्ले पपड़ी की भूखी बहू
रोहित: माँ कभी तो मैं कहता हु की मेरी पसंद का खाना बना दो उसमे भी हद जादा नमक और मिर्च डाल रखी है. ये सुनकर जैसे ही सुमन खाना चखती है सच में उसमे नमक मिर्च बहोत जादा था ऐसे ही सुमन समझ जाती है की ये किया धरा उसकी बहु रिंकी का है, और वो रिंकी को उस वक्त तो कुछ नही कहती लेकिन उसे सबक सिखाने का मन जरुर बना लेती है और अपने बेटे रोहित को कहती है|
सुमन: बेटा अब मुझे दिखता भी कम है गलती से दल गया होगा मैंने पहले खाना भी तो नहीं खाया था वरना पता चल जाता. रोहित: अब आप किचन का काम क्यों करती हो रिंकी है न वो किया करेगी. सुमन: बहु भी तो थक जाती है काम कर के रोहित: आपकी जितनी उम्र नहीं है उसकी जो थक जाए और थक जाती है अगर तो थक जाए.
देर रात सुमन पानी पिने के लिए उठती है तो वो देखती है हाल में बैठे रिंकी रात की दो बजे दही बल्ल्ले खाई जा रही है तभी सुमन रिंकी से कहती है. सुमन: मैंने तो बनाने नहीं दिया और रोहित ये दही बल्ले लाया नही तो कहाँ से आया ये. रिंकी: माँ जी आपको क्या लगता है की आप मुझे दही बल्ले बनाने से रोक लेंगी तो मैं उसे खाना छोर दूंगी क्या ये हो ही नहीं सकता है.
सुमन: तो क्या तूने इतनी रात के आर्डर करवाया है. रिंकी: हा माँ मुझे अभी दही बल्ले खाने का मन हुआ तो मैंने मंगवा लिया. सुमन: भूकी कही की बाप के घर में खाया है कभी ये दही बल्ले. रिंकी: हां-हां खाया है बहोत खाया है और जब मांगती थी तब भी खिलाते थे आपकी तरह थोड़े ही कंजूस है मेरे घर वाले.
इस बात को लेकर रात को २ बजे दोनों सास बहु में बहोत कलेश होता है. और अगले सुबह सुमन के घर में कांता का आना होता है जो सुमन से आते ही कहती है. कांता: सुमन रात में तेरे घर से आवाज़े आ रही थी लड़ने की सुमन: हाँ- हाँ आ रही होगी मेरी बहु ही थी जो मुझसे लड़ रही थी. कांता: बता कैसी बहु है तेरी रात में झगड़ रही होती है. कुछ देर बाते कर के कांता वहा से चली जाती है.
कांता के जाने के बाद देर साम सुमन अपने बहु से कहती है. सुमन: रोहित के आते ही शादी में चलना है रेडी हो जा लेट मत करवा दियो. कुछ समय के बाद रोहित, सुमन और रिंकी पड़ोसन की शादी में सामिल होते है लेकिन रिंकी के मन में तो कुछ और ही चल रहा था. वो शादी में पहुच कर किसी से मिलने-मिलाने की जगह सीधा दही बल्ले की काउंटर के पास जाती है और दही बल्ले वाले से कहती है.
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रिंकी: सुनो भैया जरा मजेदार सा दही पापड़ी बनाना. इस तरह से रिंकी एक एक करके १५ दही बल्ले की पापड़ी अकेले खा जाती है. जिसे देख कर रिंकी के पीछे खड़े दो औरते आपस में बात करते कहती है. दो औरते: अरे अरे सुमन की बहु को देख कितना खाए जा रही अपने पेट पर भी तरस कर ले थोडा, अरे कैसी बात कर रही है सुमन को तू जानती है कितनी कंजूस है घर पर बहु को खाना नहीं देती होगी तो क्या मौका मिला कैसे जाने दे सकती थी, सही कह रही है तू सुमन सुरु से ही कंजूस रही है.
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लेकिन असली मज़ा तो तब आता है जब स्टेज पर अनाउंसमेंट होती है, आज की सबसे जादा और वो भी कम समय में दही बल्ले पापड़ी खा कर सेक्रेट विनर बनती है रिंकी जी, ये सुन कर रिंकी वहीँ दोनों हाथो को ऊपर कर के खिलते हुए सबको बताना चाहती है की वो विनर है, ये देखकर सुमन रिंकी के पास जाती है और अपनी बहु से कहती है.
सुमन: अब तूने कोन सा नया ड्रामा सुरु किया है खाने का जो ये तुझे सबके सामने विनर बना रहे है. रिंकी: माँ तो बनाने दो न इतना अच्छा मौका मिला है, सुमन: किया क्या है पहले तो ये बता, रिंकी: किया तो मैंने कुछ नहीं है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया इनका कांसेप्ट क्या था, और मैं कैसे विनर हो गयी. सुमन: खाया क्या बहु ये तो बता. रिंकी: माँ जी जादा कुछ खाने नहीं दिया इन लोगों ने, 4 पिलेट टिकी 2 पिलेट चौमिन 15 पिलेट दही भल्ले, रोल, सांभर, दोसा बस माँ जी यही खाया है अब तक तो.
सुमन: बस और अब ये बस है तेरा पेट है बहु या कुवा इतना खा कर कह रही है बस इतना ही खाया. सुमन समझ जाती है की उसकी बहु को खाने की वजह से विनर बनाया गया है और अब उसकी बेज्जत्ती होने वाली है, तो वो वहां से जाने लगती है. तभी स्टेज पर सुमन को बुलाया जाता है और देखकर सब अगले दिन सुमन का मजाक बनाते है.
कांता सुमन के घर आती है और सुमन से कहती है, कांता: सुमन तेरी बहु ने तो कल कमाल ही कर दिया, क्या धाप दहप कर खाया है पुरे मोहले में तेरी ही बहु के चर्चे हो रहे है, सुमन: चुप कर तू कांता तू जले पर नमक छिडकने आई है कांता: मैंने क्या बोल दिया, मैं तो वही बोल रही हु जो सारा मोहल्ला बोल रहा है. सुमन: मेरी बहु ने तो मेरी नाक कटवा दी, सारी औरते मुझपर हस कर गयी है शादी में से, कांता: देखा था मैंने भी और वो बिमला की बहु भी कह रही थी की तेरे बारे में की तू कंजूस है अपनी बहु रिंकी को खाने को कुछ नहीं देती.
सुमन: राम-राम इस औरत ने तो सच में मेरी नाक कटवा दी है, इधर रिंकी धाप कर दही भल्ले खा तो लेती है लेकिन उसे जुखाम हो जाता है और वो खाना बनाने जैसे ही किचन में जाती है तो उसे छिके आने लगती है, तभी सुमन अपने बहु से कहती है. सुमन: हमें खाना खाना है तेरी बीमारी नहीं जा जाकर बिस्तर पकड़ खाने में कब से छिके जा रही है, रिंकी: माँ जी न जाने मुझे क्या हो गया है.
सुमन: और सर्दी में दही खाएगी मेरे मतलब है दही से नहाएगी तो सर्दी होगी ही न तूने कल दही खाया नहीं नहीं नहाया है तो बस फिर झेल अपना धुक दर्द. दही भल्ले खाने से रिंकी को जुखाम हो जाता है, जिससे उसे कुछ खाया पिया भी नहीं जा रहा था, ऐसे ही अगली सुबह सुमन रिंकी को डॉक्टर के पास लेकर जा ही रही थी तभी रास्ते में दो तीन औरते वही मिलती है, जो रिंकी को शादी में ताने दे रही थी.
और वो रिंकी और सुमन को देखकर एक दुसरे से कहती है- अरे अरे देख कोन जा रही है मिस जादा खाने वाली बहु और उसकी सास, हा हा उस दिन तो सच में इसने खुद का मजाक बनवा लिया था, वो भी खाने के चक्कर में भला इतना जादा कोई खाता है क्या इसे खाना नहीं खा कर फटना कहते है.
तब ये सब सुनकर सुमन अपनी बहु रिंकी के साइड लेते हुए उन दोनों औरतो से कहती है सुमन: मेरी बहु जितना भी खाए देख अपनी कमर और मेरी बहु की कमर खा खा कर खुद फटने को हो रही है और मेरी बहु के बारे में जो मन आ रहा है वो बोले जा रही है | रिंकी भी अपने सास सुमन को लड़ते देखकर खुद के गलती मानते हुए जादा खाने वाली अपनी आदत को छोरने का फैसला लेती है,
क्युकी उसकी वजह से उसकी घरवालो काफी बदनामी का सामना करना पड़ा था|