Saas Bahu Moral Stories: बहू की दूसरी मेहँदी

Saas Bahu Moral Stories: दीपिका हर्ष नाम की लड़के से बहोत प्यार करती थी | बहोत कोसिस के बाद दोनों के परिवार वाले शादी के लिए मान गए | दोनों की शादी की त्यारियां शुरू हो जाती है सबकुछ ठीक चल रहा था की तभी मेहदी वाले दिन दीपिका के पास एक कॉल आता है, की उसके होने वाले पति हर्ष की मौत हो गयी है जिसे सुनते ही उसके हाथो से फ़ोन निचे गिर जाता है और वो जोर जोर से रोने लगती है | तभी उसकी माँ कविता वहां आती है और कहती है |

बहू की दूसरी मेहँदी
बहू की दूसरी मेहँदी

कविता:- क्या हुआ बेटी तू ऐसे क्यों रो रही है बोल न कुछ हुआ है क्या बोल बेटा मेरा दिल बहोत घबरा रहा है किसका फ़ोन था | दीपिका:- माँ हर्ष के घर से फ़ोन था वो लोग कह रहे है की उनकी मौत हो गयी है लेकिन कुछ पहले तो मेरी उनसे बात हुई थी तब तो ऐसा कुछ नहीं था, अब मेरा क्या होगा माँ मैं हर्ष के बिना नहीं जी सकती मुझे उनके पास जाना है |

कविता:- रुक जा बेटा इस वक्त तेरा वहां जाना ठीक नहीं है तेरे हाथो में मेहदी लगी हुई है अगर तू वहां जाएगी तो सभी हर्ष का मौत का एल्जब तेरे ऊपर लगायेंगे, मैंने पहले ही बोला था की ये शादी मुझे ठीक नहीं लग रही है लेकिन तूने किसी की नहीं सुनी |

और पढ़े: शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए इसके रचना उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।

Saas Bahu Moral Stories:

दीपिका:- माँ मुझे नहीं फर्क पड़ता है की लोग मेरे बारे में क्या सोचते है क्या नहीं मुझे बस इतना पता है की मुझे बस हर्ष के घर जाना है और मैं जाउंगी मुझे वहां जाने से कोई नही रोक सकता है यहाँ मेरी पूरी ज़िनदगी बर्बाद हो गयी और आपलोगों को महेदी की पड़ी हुई है |

दीपिका इतना कहे हुए भागकर दरवाजे की तरफ जाती है जहाँ सामने अपने पिता राजवीर को खड़ा देखकर रुक जाती है और अपने कदम पीछे कर लेती है की तभी राजवीर कहता है | राजवीर: लगता है तुम्हे अपनी माँ की बात समझ में नहीं आई उन्होंने ने कहा न की कही नहीं जाना तो मतलब कहीं नहीं जाना, वहां जाकर हमारे घरवालो की और बदनामी करवानी है क्या |

दीपिका:- पिता जी आपको नहीं पता क्या हर्ष के साथ क्या हुआ है कम से कम मुझे एक बार देख तो लेने दीजिये मुझे जाने दीजिये पिताजी | राजवीर: अगर उनलोगों को तेरी जरुरत होती तो वो लोग तुझे खुद लेने के लिए आ जाते ऐसे गैर लोगों से फ़ोन नहीं करवाते वो लोग अपने बेटे की मौत का जिम्मेदार इस शादी को और तुझे समझ रहे है उसके घर में कोई भी तेरी सकल नहीं देखना चाहता है | मैं अभी वहीँ से आ रहा हु |

दीपिका:- ऐसा नहीं हो सकता सभी लोग हमारी शादी से बहोत खुस थे किसी को कोई परेशानी नहीं थी हमारी शादी से राजवीर: सिर्फ दिखावे के लिए उनलोगों ने दिल से तुम दोनों की शादी के लिए हाँ नहीं किया था उन्होंने बस हाँ इसलिए किया था की कही तुम दोनों भाग न जाओ जो किस्मत में लिखा होता है उसे कोई नहीं बदल सकता तुम्हारा वहां न जाना ही ठीक है |

अपने पिता की बात सुनकर दीपिका रोते हुए अपने कमरे में चली जाती है समय बीतता है लेकिन दीपिका की ससुराल वाले उसकी तरफ मुड कर भी नहीं देखते जिसके बाद राजवीर अपनी बेटी को इन सभी परेशानी से दूर रखने के लिए अपने बड़े भाई धर्म के घर ले जाता है और उन्हें सारी बात बताता है जिसे सुनकर धर्म कहता है |

धर्म: राजवीर तूने दीपिका को यहाँ लाकर बहोत अच्छा किया अगर ये वहां रहती तो सायेद अपने ग़मों को भूल नहीं पाती इसलिए उसका यहाँ आना ही ठीक था | बाकी तू चिंता मत कर यहाँ उसके बारे में कोई कुछ नहीं जनता है हम उसके लिए कोई अच्छा सा रिश्ता खोज कर उसकी शादी कर देंगे फिर सब ठीक हो जायेगा |

राजवीर: हाँ भैया आप सही कह रहे है तभी मैं दीपिका को यहाँ लाया हु क्युकी अगर ये वहां रहती तो पुराणी बाते ही याद करते रहती | धर्म: हाँ वो तो है कोई नहीं समय दो थोडा उसे समय के साथ सबकुछ ठीक हो जायेगा इतना मत सोचो उन सब बातो के बारे में आज कल शादी टूटना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन अब हमें बस इतना ध्यान रखना पड़ेगा की जब हम दीपिका के लिए कोई दूसरा रिश्ता देखे तो उन्हें दीपिका की अतीत के बारे में कुछ पता न चले |

राजवीर: उसकी चिंता आप मत करिय भैया वो सब तो मैं दीपिका को अच्छे से समझा दूंगा बस आप मेरी बेटी का घर बसवा दीजिये |

राजवीर और धर्म दोनों मिलकर दीपिका के लिए रिश्ता खोजना सुरु करते है समय बीतता है और समय के साथ दीपिका भी धीरे धीरे अपने दुखों से बहार आती जा रही थी वहीँ दूसरी तरफ धर्म भी सूरज का नाम का लड़के का बहोत अच्छा रिश्ता खोज लेता है और सभी घरवालो को उसकी फोटो दिखता है तभी दीपिका कहती है |

दीपिका:- ताऊ जी मुझे शादी से कोई परेशानी नहीं है आपलोग जहाँ जिसके साथ मुझे शादी करने के लिए कहेंगे मैं कर लुंगी लेकिन मैं ये शादी धोके से नहीं करना चाहती हूँ इसीलिए आप लोग मेरे ससुराल वलों को मेरी पहली शादी टूटने वाली बात बता दीजिये अगर वो फिर भी शादी के लिए हाँ करते है तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है |

राजवीर: तेरा दिमाग ख़राब हो गया है लेकिन हमारा नहीं और हर बार तेरी मर्ज़ी से ही सबकुछ हो ये तो जरुरी नहीं है न एक बार तेरी मर्ज़ी मान कर देख चूका हूँ अब वही होगा जो हम चाहेंगे |

धर्म: एक मिनट राजवीर तू शांत हो जा और दीपिका बेटा जो बात बीत गयी उसे बताने का क्या फायदा है और रिश्ता बहोत आच्छा है मैं नहीं चाहता हु की किसी वजह से इतना अच्छा रिश्ता हाथ से निकले |

बहू की दूसरी मेहँदी

सभी लोग मिलकर अपने बातो से दीपिका का मुह बंद करवा देती है और अगले दिन लड़के वालों को बुलवा कर शादी का डेट फाइनल करवा देती है सभी शादी की तयारी में लग जाती है देखते देखते शादी की सारी रस्मे पूरी हो जाती है लेकिन दीपिका की दिल पर एक बोझ होता है की ये शादी के सुरुवात एक झूट से हो रही है | समय बीतता है और मेहदी वाले दिन दीपिका को अपने पहली मेहदी वाली दिन का हादसे की याद आती है जिससे वो बहोत डर जाती है और जैसे ही उसका होने वाला पति सूरज और उसकी सास कामिनी उसके लिए सगुन का जोड़ा लेकर उसके घर आती है | तभी दीपिका अपनी मेहदी की रस्म से उठ जाती है और सब के सामने अपने सास को कहती है |

दीपिका:- माँ जी अगर मैं आपसे ये कहूँ की ये मेहदी आपकी बहु की दूसरी महेदी है तो इस बात को जानकर अपनी बहु की दूसरी महेदी करवानी चाहेंगी और इस शादी के लिए हाँ करेगी |

सास: बहु तू ये क्या कह रही है बहु की दूसरी महेदी मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कहीं तू सगाई में लगने वाली महेदी और आज शादी वाली महेदी को लेकर तो बहु की दूसरी महेदी की बात तो नहीं कर रही है न |

सूरज: माँ मुझे लगता है दीपिका यही कहना चाह रही है तुम्हे महेदी लगवाना पसंद नहीं है क्या लेकिन अब कर क्या सकते है महेदी तो लगवानी पड़ेगी कल हमारी शादी है और बिना महेदी की शादी आच्छी नहीं लगती |

सास: हाँ बहु ये तो है शादी में महेदी की रस्म बहोत जरुरी है इसमें होने वाले पति का नाम लड़की के हाथो में लिखा जाता है और महेदी जितनी ज्यदा चढ़ती है पति उतना ही प्यार करता है | मुझे भी देखना है तेरी महेदी का रंग कितना चढ़ता है |

दीपिका:- आप लोगों को मेरी बात समझ में नहीं आ रही है माँ जी मेरी कहने का मतलब है मेरे हाथों पर सूरज जी के नाम से पहले किसी और का नाम लिखा जा चूका है पहले एक बार मेहदी वाले दिन ही लड़के की मौत हो जाती है और उसकी वजह से मेरी शादी टूट गयी थी | ये आपकी बहु की दूसरी महेदी है क्या अभी भी आपलोग ये महेदी की रस्म पूरी करवाना चाहती है क्या फिर आप इस रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते है |

सास: ये तुम क्या कर रही हो बहु ये तुम्हारी दूसरी महेदी है लेकिन तम्हारे घर वालों ने ये बात तो मुझे नहीं बताई इसका मतलब ये लोग धोके से ये शादी करवा रहे थे भाई साहब मैं बहु के घरवालों को इतने अच्छे से नहीं जानती थी लेकिन आपके ऊपर मुझे बहोत बिस्वास था और आप हमारे साथ ऐसा धोका करेंगे मुझे ये उम्मीद नहीं थी |

धर्म: मुझे माफ़ कर दीजिये मैं अपनी भूल पर बहोत सर्मिन्दा हूँ मैं अपनी बेटी के प्यार में ये भूल गया की झूट के दिन ज्यादा नहीं होते एक न एक दिन सबके सामने आ ही जाता है मैं आपसे दिल से माफ़ी मांगता हूँ |

सास: अब आप कितनी भी माफ़ी मांग लीजिये लेकिन अब आपपर वो बिस्वास मुझे कभी नहीं होगा जो पहले था अब ये महेदी के रस्म पूरी नहीं होगी और न ही ये शादी होगी चल बेटा |

अपने सास की बात सुनकर दीपिका जैसे ही अपने हाथ में लगी महेदी को छुड़ाने के लिए अपना दूसरा हाथ उठाती है तभी सूरज उसे रोकते हुए अपनी माँ से कहता है |

सूरज: माँ माना की दीपिका के घर वालों ने हमसे झूट बोला लेकिन दीपिका ने हमसे कोई बात नहीं छुपाई न और न ही हमसे कोई झूट बोला महेदी की रस्म पूरा होने से पहले इसने आपको सब बता दिया की आपकी बहु की दूसरी महेदी है वो चाहती तो शादी तक छिपा सकती थी शादी के बाद हम क्या कर लेते |

सूरज की बात सुनकर कामिनी को उसकी बात ठीक लगती है जिसके बाद वो शादी के लिए तयार हो जाती है और अपनी बहु की दूसरी महेदी की रस्म उसके घरवालों के मिलकर बड़ी घूम धाम से करती है | इस तरह दीपिका के दिल से झूट का भोज भी उतर जाता है और कामिनी की बहु की दूसरी महेदी रस्म भी खुसी खुसी होती है |

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