Saree Pahane Wala Pati Hindi Kahani

Saree Pahane Wala Pati: सूरज का साडी का शोरूम था जहाँ उसे कस्टमर को कई बार साड़ी पहनकर दिखाना पड़ता था, जिसके चलते कई बार लोग उसकी पत्नी आरती को साड़ी पहनने वाला पति का ताना मरती थी जो चीज़ आरती को बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती थी, लेकिन सूरज को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था और न उसे अपने काम को लेकर कोई शर्म थी, एक दिन सूरज साड़ी पहने कस्टमर को दिखा रहा होता है तभी आरती का फ़ोन आता है और वो कहती है –

Saree Pahane Wala Pati
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आरती: सुनिए जी आप कहाँ है जल्दी से मेरे पास आ जाओ मेरा बहोत जरुरी काम है, सूरज: तुम इतना घबराते हुए क्यों बोल रही हो सब ठीक तो है न कहाँ हो जल्दी बताओ मैं अभी आ रहा हूँ. आरती: मैं आपकी शॉप से कुछ दुरी पर ही हूँ बस आप जल्दी से आ जाइये मैं आपकी इन्त्तेज़ार कर रही हूँ. सूरज: ठीक है तुम फ़ोन रखो मैं बस अभी आया २ मिनट में |

सूरज इतना कह कर फ़ोन रख देता है, और आरती के पास जाने के लिए निकल जाता है जल्दी बाज़ी में वो भूल जाता है की उसने सारी पहन ही रखी है थोड़ी देर बाद जब वो आरती के पास पहुचता है तभी आरती सूरज को साड़ी पहने हुए देखकर गुस्से में कहती है |

आरती: लो बस यही बाकी रह गया था की आप साड़ी पहन कर सडको पर घुमे अरे जरा सी भी शर्म नहीं है औरत की तरह साड़ी पहनकर घूमते हुए आ गए. सूरज: अरे चुप करो तुम ये सब न तुम्हारी ही वजह से हुआ है तुमने इनती जल्दबाजी में फ़ोन किया की मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैं भूल गया मैंने साड़ी पहनी हुई है और मैं बस निकल आया जल्दी से |

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Saree Pahane Wala Pati

आरती: याद भी कैसे होगा पूरा दिन तो आपका साड़ी पहने हुए निकल जाता है तो भूल तो जाओगे ही अपना मुह ढकिये वरना अगर किसी जानने वाले की नजर पड़ गयी तो मेरा तो मजाक बनेगा ही बनेगा और लोगों को चार बाते बोलने का बहाना मिल जायेगा की मेरापती साड़ी पहनने वाला है.

सूरज: भगवान से मेरी बुराई की करती रहोगी या फिर मुझे भी बताओगी की मुझे यहाँ बुलाया क्यों है मुझे देर हो रही शॉप पर जाना है मेरे कस्टमर इंतज़ार कर रहे है मेरा. आरती: कोन सा आपका बहोत अच्छा काम है सभी औरतो को साड़ी पहन कर ही तो दिखाना है मैंने तो आपको इसलिए बुलाया था क्युकी आप आज सोने का सेट दिलाने के लिए बोला था और चुप चाप शॉप पर निकल आये.

सूरज: हद है यार तुमने इस बेवजह काम के लिए मुझे शॉप से बुलाया सच में तुम्हारा न कुछ भी नहीं हो सकता यार .आरती: मुझसे जुडी सारी चीज़े आपके लिए बेवजह ही होंगी लेकिन मुझे तो अभी चाहिए आप चलिए मेरे साथ सोनार की शॉप पर.

आरती और सूरज आपस में बहस कर ही रहे होते है की तभी उनकी पड़ोसन अनीता की नजर सूरज पर पड़ती है और उसे साड़ी पहने हुए देखकर उसके पास आकर कहती है. अनीता: सूरज जी आपको साड़ी पहनने का इतना शोक था मुझे तो पता ही नहीं था वैसे कसम से आप साड़ी में बहोत अच्छे लग रहे हो और आरती तुम यहाँ क्या कर रही हो|

आरती: किसी काम से आई थी हो गया अब घर जा रही हूँ. अनीता: अरें तो रुको न मुझे एक साड़ी लेनी है तुम्हारे साड़ी पहनने वाले पति के दुकान से चलो न मेरे साथ उसके बाद दोनों साथ ही में घर चल लेंगे. आरती: नहीं मेरे सर में बहोत दर्द है आप सूरज जी के साथ चले जाइये ये आपको साड़ी भी दिखा देंगे साथ ही पहनना भी सिखा देंगे इनको बहोत अच्छी साड़ी पहनने आती है न |

आरती इतना कहकर गुस्से में घर चली जाती है और अनीता सूरज के साथ उसकी शॉप पर चली जाती है. साम को सूरज शॉप से घर आता है तभी आरती उसके पास आती है और कहती है आरती: देखिये जो मजाक आज अनीता के सामने हमारा बना है मैं नहीं चाहती की वो दुबारा बने इसलिए आप अपने शॉप पर कुछ लड़की रख लीजिये जो साड़ी बेचेंगे और जरुरत पड़ने पर वही कस्टमर को साड़ी पहन कर दिखायेंगे.

लेकिन आप आज के बाद साड़ी नहीं पहनेगे वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, सूरज: अच्छा बाबा ठीक है तुम जैसा कहोगी मैं वैसा ही करूँगा अब खाना मिलेगा पेट में चूहे कूद रहे है भूक के मारे जान निकल जाएगी मेरी, आरती: ये हुई न बात आप जाइये फ्रेश हो जाइये मैं आपके लिए खाना लगाती हूँ, सूरज: ओके मैं बस यु गया और यु आया.

सूरज इतना कहकर अपने कमरे में चला जाता है थोड़ी देर बाद फ्रेश होकर वो निचे आता है जिसके बाद दोनों खाना खाकर सोने के लिए चले जाते है. समय बीतता है तभी एक दिन आरती की फ्रेंड राधिका उसकी घर आती है और कहती है. राधिका: यार मुझे अर्गेंट साड़ियाँ चाहिए और जैसे मुझे साड़ी चाहिए वो कही नहीं मिल रही बहोत सारी दुकाने देख ली लेकिन मुझे साड़ियाँ पसंद ही नहीं आ रही |

आरती: तेरी पसंद कॉलेज टाइम से ही ऐसी है जो जल्दी कहीं नहीं मिलती और आखिर में तुझे पुराणी चीज़े का ही इस्तेमाल करना पड़ता था, राधिका: अब ऐसा नहीं होता है मैंने अपनी पहली वाली आदतें सुधार ली है अब मैं पहले की तरह जिद्दी नहीं हूँ बल्कि सारी काम सोच समझ कर करती हूँ और मुझे ये पता मेरी ये परेशानी तू ही दूर कर सकती है क्युकी मुझे पता चल चूका है की तेरे पति का साड़ियों का बहोत बड़ा शोरूम है अब तो तू ही वहां साड़ियाँ दिलवाएगी|

आरती: नहीं मैं कहीं नही जाउंगी मेरे सर में बहोत दर्द है और सहर में साड़ियों की शोरूम की कमी पड़ गयी थी क्या की जो तुझे अपने पति के दुकान लेकर जाऊ मैं, राधिका: तू कैसी वाइफ है यार लोग अपनी पति के काम को आगे बढ़ाने की सोचती है और एक तू है जो घर में आये कस्टमर को भगा रही है उसकी रोजी रोटी पर लात मार रही है मुझे बस इतना पता है की तू मेरे साथ जा रही है बस|

राधिका के बार बार कहने पर आरती उसे लेकर सूरज की साड़ियों के शोरूम पर चली जाती है जहाँ पहोच कर वो देखती है की उसके मना करने के बाद भी सूरज सभी औरतो को साड़ी पहन कर दिखा रहा होता है और सभी औरते उस पर हस रही जिसपर आरती को बहोत ही गुस्सा आता है तभी सूरज की नजर आरती पर जाती है और अब वो तुरंत साड़ी खोल कर साइड में रख देता है तभी राधिका हसते हुए कहती है|

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राधिका: सूरज जी आप तो साड़ी में बहोत अच्छे लगते है एक बार दुबारा पहन कर मुझे भी दिखाइए न आरती मुझे तो पता ही नहीं था की तुझे साड़ी पहनने वाला पति मिला है जिस तरह से इनका काम है उस तरह उस हिसाब से इन्हें पूरा दिन साड़ी पहन कर रहना होता होगा न. आरती: तू यहाँ साड़ियाँ लेने आई है न तो चुपचाप साड़ी ले हम चले यहाँ से क्युकी मुझे घर में बहोत काम है, राधिका: तेरा तो हमेसा ही मुह बना रहता है सूरज जी आप इसे कैसे झेलते हो कैसे बर्दास्त करते हो आप इसे|

सूरज: क्या करें मुझे तो अब आदत हो गयी है और शादी किये कोई मजाक नहीं आप ये सब छोडिये और साड़ी देखिये. इतना कहकर राधिका को एक से बढकर एक साड़ियाँ दिखता है थोड़ी देर बाद आरती और राधिका साड़ियाँ लेकर वहां से चली जाती है ऐसे ही समय बीतता है|

तभी एक दिन आरती सूरज के साथ अपनी बहन की शादी में जाती है तभी उसकी सबसे छोटी बहन रूचि सूरज के पास आती है और उसका हाथ पकड़ कर कमरे में ले जाती है जहाँ उसकी सहेलियां कड़ी होती है तभी रूचि कहती है |

रूचि: जीजू बारात आने का समय हो गया और हमलोग बहोत देर से साड़ी पहनने की कोसिस कर रहे है क्या आप हमें एक बार साड़ी पहन कर दिखा सकते है सूरज: सोरी रूचि अगर तुम्हारी बहन ने मुझे साड़ी पहने देख लिया न तो मेरी जान ले लेगी तुम एक काम करो अपनी दीदी से पूछ लो वो बता देगी, रूचि: वो क्या बताएगी वो तो खुद शादी में शूट डाल कर आई है क्युकी उन्हें साड़ी पहनने आती नहीं है और न ही उन्हें पसंद है जीजू बस ५ मिनट लगेगा.

रूचि के बार बार कहने पर सूरज साड़ी पहन कर सभी को साड़ी पहनने का तरीका बता रहा होता है तभी आरती वहां आ जाती है और सूरज को साड़ी पहने हुए देखकर कहती है. आरती: आप नहीं सुधर सकते है जहाँ देखो बस औरतों की तरह साड़ी पहन खड़े हो जाते है अगर आपको साड़ी पहनने का इतना शोक लग रहा था तो घर से ही साड़ी पहन कर आ जाते ये कोट पेंट पहन कर आने की क्या जरुरत थी पता नहीं कहाँ से ये साड़ी पहानने वाला पति मेरे पल्ले पड़ गया|

इसे कुछ भी कहो कोई असर ही नहीं होता | आरती की चिलाने की आवाज़ की वजह से वहां और लोग भी जमा हो जाते है सभी लोग सूरज को देखकर हस रही होती है जिसपर सूरज को बहोत ही सर्मंदगी महसूस होती है अब वो चुप चाप कमरे से बहार चला जाता है, तभी रूचि अपनी बहन को सुनाती हुई सारी बाते बताती है जिसे सुनकर आरती को अपनी गलती पर बहोत पछतावा होता है और वो भागकर अपने पति के पास जाती है और उससे हाथ जोड़कर माफ़ी मांगती है|

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